नीला आसमां जब समंदर सा लहराए
रेशम के गुच्छे जब चूमने को आएं
फड़फड़ाती हवा सुनाये सूरज चंदा की बातें
और चोटी से परबत क छाती सुहाए
ऊंचे पेड़ों के ऊपर जब घास का आँचल मिल जाये
तब होता है आग़ाज़ …
कि इस विराट जहां में हम हैं कितने छोटे से साये
और उस हर एक लम्हे में,
ज़िन्दगी बार बार मुकम्मल हो जाये
That's beautiful poetry! (and that too in Hindi!)
ReplyDeleteOye whazzup :D
ReplyDeleteAnother CSE in the offing :P What about you?
DeleteCSE? Me...living in the limbo
DeleteThe exam lady, the civil services exam! . Ha! get out of the limbo, the blogging world sure has missed you!
Deleteah! All the best yaar
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