मैं हूँ और है बदमाश हवा
मेरे संग बहे, मेरी रूह में रवां।
छू मूझे हर जगह, कहे वो जान-ए-वफ़ा
कि देख, देख तूझे चाँद बेहद खफा।
ज़ुल्फ़ों की कशिश और आँखों की मस्ती मैं ही तो हूँ
चाहत की ख़लिश और ख्वाबों की कश्ती मैं ही तो हूँ।
मैं खुद में हूँ पूरी, मैं अपने लिए हूँ यहां
मेरी अदा, दीवानगी, मेरा गुरूर देखे ये जहां।
मैं हूँ बारिशों की बूंदों में जगमगाता पानी
मैं हूँ जदुओं की ख़ामोशी, रातें मेरे काजल का मानी।
इस जहां से परे मेरा एक अलग ही जहां
यहां हसीन निशा, और इसका नशा मैं हूँ यहां।